सीजी राइट टाइम्स न्यूज चैनल की खास रिपोर्ट
बेमेतरा - छत्तीसगढ़ के गांव कस्बा में जा जाकर जिन्होंने गौ बंद पर होने वाले अत्याचार को बंद कराने मुहिम चलाकर गौ वंश की रक्षा के लिए जो जान की बाजी लगाकर लगातार गौ वंश की रक्षा का संकल्प लेकर काम किया वो समाज आज उनके द्वारा चलाए गए गौ वंश रक्षा अभियान को भूल गए जिन्होंने ईशानो के द्वारा अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए कड़ी धूप में हल चलाते थे जिनका खुलकर विरोध किया और भविष्य में इस तरह की प्रताड़ना ना करने का बिगुल फूंक दिया जो इतिहास के पन्नों व नक्शों में हालाकी ना मिले किंतु यह हकीकत है जिन्हें झुपाया गया ताकी उनके संघर्षों से समाज से कोसों दूर रखने का षड्यंत्र रचा गया आज भी समाज के लोगों को वो चाहे जिस भी फिल्ड में काम करे उनका घोर शोषण और अन्याय किया जाता है । इनसे जुड़ी कई रोचक बातें को हम हमारे लेखनी के माध्यम से आ तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे आप सब का स्नेह प्रेम दुलार और सहयोग मिलता रहा है और आगे भी मिलता रहेगा इन्हीं आशा और उम्मीद के साथ आगे की कहानी विस्तार से रखने का प्रयास कर रहे हैं।
एक बेजुबान की पीड़ा और विलाप को कोन था सुनने वाले...आप जरूर पढ़ें...
एक बेजुबान जिनकी क़र्ज़ को आजीवन मुक्त नहीं हो सकते जिनकी सच्ची कहानी किसी को बताने की जरूरत नहीं बल्कि हर वो शख्स जिनके आस पास इस तरह की घटनाएं आपको देखने को मिला होगा एक बेजुबान की आवाज गुमनामी में गुम हुई मैं जाऊं तो जाऊं कहाँ ? खेत में जाने पर लोग लाठियों से पीटते हैं। घरों से तो बहुत पहले ही मुझे निकाल दिया गया है। हज़ारों सालों से मैने किसानो का साथ दिया, मनुष्यों का पालतू बनकर रहा। मेरी जाति का दूध, दही, पनीर, घी, माखन, छाछ आज भी मानव जाति प्रयोग करती है। मेरी चमड़ी, मेरी हड्डी, मेरा मूत्र, मेरा गोबर हर चीज़ मेरा कतरा कतरा मानव जाति को समर्पित रहा है । मैं ही मानव जाति का ट्रैक्टर व कार जीप बनकर उनको 21 वी सदी तक लाया हूँ।
दुध मेरा और कर्ज कुत्ते का उतार रहे हैं,लोग मेरी जगह कुत्ता पाल रहे हैं लोग...
इस कलयुगी लोगों के बीच में सदियों से पीसता आ रहा है लोग दुध तो मेरा पीते हैं किंतु क़र्ज़ कुत्ते का उतार रहे हैं ये हकीकत है कोई अंजान नहीं लेकिन अफसोस आजकल अधिकतर लोग मेरी जगह कुत्ता पाल रहे है व मैं कुत्ते की जगह गली गली मारा मारा फिर रहा हूँ । कुछ लोग मुझसे नफरत करते है मुझे मारकर भी खा जाते है। यही मेरी व्यथा है जिसे कोई नही सुनता । आप अवश्य सुनेंगे हो सके तो मेरे दुध का कर्ज अदा करें ...
मुझे नहीं है किसी भी जीव से ईर्ष्या मुझे भी तो पालते थे क्या अब आप लोगों को चुभने लगा हुं । कुत्ते को पालतू और मुझे आवारा बना रहे हो मैं तो आपको हमने मां के जैसा दुध पिलाया खुद अपने बच्चे का निवाला तुझे दिलाया हमने कभी कपट नहीं की अब हमने आपकी क्या बिगाड किया जो पालतू था वह पालतू और हमें आवारा बना दिया।
सब तो बंद कमरे पर ही अपनी गुजर-बसर कर लेते थे हमें आप लोगों ने क्या दिया बची खुची जुठी पानी और सुखी पैरा पराली के अलावा आपने क्या दिया।