छत्तीसगढ़ी भाषा हमर मन के संस्कृति अउ आत्मा ले जुड़े है:- सुरेश कुमार राजपूत............
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पथरिया - छत्तीसगढ़ में गुरुवार को सत्रहवें छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस हर्षौल्लास के साथ मनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग विधेयक को 28 नवम्बर 2007 को पारित किया था। विधेयक के पास होने के हर साल 28 नवम्बर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाने की शुरुआत हुई। राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया,आयोग के प्रथम सचिव पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे थे।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस को लेकर ग्राम पंचायत बेलखुरी के युवा,सामाजिक कार्यकर्ता, वीरांगना अवंतीबाई लोधी शासकीय महाविद्यालय पथरिया के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुरेश कुमार राजपूत ने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ी भाषा हमर मन के संस्कृति अउ आत्मा ले जुड़े है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा बने सत्रह वर्ष हो गया। अभी तक सिर्फ राजभाषा होने का गौरव प्राप्त है।छत्तीसगढ़ी को संविधान में भाषा का दर्जा नहीं मिला है। जब तक यह संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं होगा छत्तीसगढ़ी को भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हो सकता। अतः इसे संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करना आवश्यक है।छत्तीसगढ़ में समय-समय पर छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की सूची में शामिल करने के लिए साहित्यकारों के साथ जनप्रतिनिधियों ने समय-समय पर मांग उठाई है लेकिन आज तक उनकी मांग अनसुनी रह गई।उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के ढाई करोड़ लोगों के सम्मान और पहचान का विषय है छत्तीसगढ़ी भाषा। छत्तीसगढ़ी भाषा का समृद्ध एवं गौरवशाली इतिहास रहा है।वर्तमान में भी बहुत से शब्द छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा में समान रूप से उपयोग किये जाते हैं।आइए छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग सार्वजनिक जीवन में अधिक से अधिक करें। जिससे भाषा समृद्ध होगी और उसके विकास में सहयोग मिलेगा।